अगर आप चंड़ीगढ़ या उसके आसपास हैं और कुछ वक्त शोर शराबे से दूर शांत प्राकृतिक वातावरण में बिताना चाहते हैं लेकिन वक्त कम है तो ऐसे में कसौली के अलावा भी एक विकल्प है – मोरनी हिल्स (morni hills ). चंडीगढ़ से सिर्फ 40 किलोमीटर के फासले पर या यूं कहें कि सिर्फ सवा – डेढ़ घंटे की ड्राइव तो गलत न होगा. रास्ता इतना आरामदायक और तरह तरह के अनुभव वाला कि कब ये फासला तय हो गया, इसका पता ही नहीं चलता. देवभूमि हिमाचल की सीमा से लगा मोरनी हिल्स यूं तो हरियाणा के पंचकुला ज़िले का हिस्सा है लेकिन हरियाणा के तमाम इलाकों से एकदम जुदा है. शहर के करीब होते हुए भी भीड़भाड़ और चहल पहल से दूर एक शांत इलाका है मोरनी हिल्स का.
चीड़ और देवदार के पेड़ों के जंगल से भरे मोरनी के आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्र में भी आवाजाही ज्यादा नहीं है इसलिए कहीं कहीं सड़कें संकरी होने के बावजूद आने जाने में दिक्कत नहीं होती बशर्ते पहाड़ में वाहन चलाने का अनुभव हो. कई जगह एकदम अचानक आने वाले घुमावदार रास्ते रोमांच पैदा करते हैं लेकिन यहां रफ्तार को एकदम नियंत्रण में रखना ज़रूरी है. मोरनी हिल्स में साल के तकरीबन 8 -9 महीने मौसम खुशगवार ही रहता है. समुद्रतट से 1267 मीटर की ऊंचाई है जबकि चंड़ीगढ़ की 321 मीटर. इससे भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यहां मौसम आमतौर पर ठंडा सा ही रहता होगा. यहां चीड़ और देवदार के घने जंगल हैं. नमी से भरपूर रहने वाले इन खूबसूरत खूब ऊंचे वृक्षों की मौजूदगी भी यहां मौसम के खुशगवार होने का सबूत देती है. इन वृक्षों की एक ख़ास बात और है. हवा चलने पर इनके पत्तों से ऐसी संगीतमय आवाज़ निकलती है जो आसपास पहाड़ से गिरते झरने के बहते पानी के आसपास होने का आभास देती है.
मोरनी हिल्स सिर्फ शान्ति के चाहवानों को ही नहीं वन्य जीव और पक्षी प्रेमियों को भी ये जगह पसंद आती है. बन्दर , लंगूर , चीतल , जंगली सूअर , काले मुर्गे वगैरह ही नहीं यहां तेंदुआ भी गाहे बगाहे मिल सकता है.
मोरनी हिल्स की खूबसूरत वादियों को देखकर तो हैरानी होती है या यूं कहें कि यकीन नहीं होता कि ये जगह मैदानी शहर से इतना करीब है. कहीं कहीं दूर तक दोनों तरफ घने हरे भरे पेड़ों से घिरी चमकदार काली सड़क बरबस ही आपको रुकने और तस्वीर खींचने पर मजबूर कर देगी. और हर दो तीन किलोमीटर के फासले पर छोटी सी कच्ची पक्की दुकान या ढाबा टाइप दिखाई देने वाले ठिकाने पर बड़ा बड़ा लिखा ‘ मैगी – चाय – कॉफ़ी – ऑमलेट’ जैसा आपको न्योता दिखाई देगा. यहां माहौल ही ऐसा बन जाता है कि अगर आप जल्दी में नहीं हैं और बेफिक्री से आये हैं तो ” थोड़ा रुक जायेगी तो तेरा क्या जायेगा …” जैसे गाना खुद ही अपने लिए याद आ जायेगा. यहां न जाने क्यों मैगी और स्नैक्स खाने का स्वाद बढ़ जाता है. हालाँकि यहां दुकान वाले लूटते नहीं हैं फिर भी कोई स्नैक्स आर्डर देने से पहले दाम ज़रूर पूछ लें. शहरी धूल भरी या व्यस्त सडकों से इतर यहां सड़क कहीं कहीं किनारे पेड़ों के झुरमुट के करीब खुले आसमान के नीचे ऐसे ठिकानों पर रुकने का आनन्द भी अलग है. उस पर अच्छी बात ये कि ऐसा मजेदार सफर यहां किसी भी मौसम में किया जा सकता है. इन दुकानों को यहीं के रहने वाले ग्रामीण ही चलाते हैं. अक्सर देखा गया है कि ऐसी चाय स्नैक्स की दुकानो के आसपास गांव का वातावरण होता है जो यहां सैर सपाटा करने आये काफी यात्रियों का पसंद आता है.
मोरनी में जहां तक सैर सपाटा या कुछ दिलचस्प स्थानों की बात करें तो मोरनी में सबसे पहले ज़िक्र होता है टिक्कर ताल का जिसे लोग देखने के लिए आते हैं. हरे भरे पहाड़ों की घाटी में छोटी सी झील का नज़ारा आँखों को भरपूर सकून देता है. विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की यहां अठखेली भरी आवाजाही भी दिलकश है. बोटिंग तो यहां अन्य बहुत सी झीलों की तरह होती ही है लेकिन सितम्बर 2021 को यहां हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एडवेंचर टूरिस्म की सोच के तहत नई शुरुआत की. यहां वाटर जेट स्कूटर, पैरासेलिंग, पैरा मोटरग्लाइडिंग शुरू की गई. लेकिन एडवेंचर स्पोर्ट्स सस्ता नहीं है और दूसरा इसके लिए वहां जाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि ये गतिविधियां (activities) वहां चल रही हैं या नहीं. खासतौर से वहां नये लांच किये गये एडवेंचर स्पोर्ट्स. यूं तो इस स्थान पर ठहरने के लिए हट्स भी हैं और रेस्तरां भी, जिनका इंतजाम हरियाणा टूरिस्म (haryana tourism) करता है लेकिन कई कुछ गतिविधियां निजी ऑपरेटर को ठेके पर दी गई हैं. वाटर स्कूटर की सिर्फ 3 मिनट की राइड के लिए आपको एक हजार रुपये खर्च करने होंगे और 5 मिनट के लिए 1500 रूपये. ये 2 सीटर स्कूटर है लेकिन एक बार में एक ही व्यक्ति टिक्कर ताल में सवारी कर सकता है क्यूंकि पीछे की दूसरी सीट पर ट्रेनर होता है जो हल्का फुल्का स्टंट भी करता है. कुछ देर के लिए ट्रेनर सवारी को भी वाटर स्कूटर चलाने को देता है. तो अगर आप ये सोचकर जाते हैं कि साथी के साथ स्कूटर पर सवारी करेंगे तो ये सम्भव नहीं लगता. वहीं पैरा मोटर ग्लाइडिंग और पैरा मोटर सेलिंग भी सुचारू और नियमित नहीं है.
यहां एक रात के लिए रूम तकरीबन 2500 रूपये में मिलता है. रेस्टोरेंट में खाने पीने की वैरायटी तो है लेकिन फ़ूड के टेस्ट को लेकर कोई अच्छा फीडबैक नहीं मिलता. यहां आने वाले यात्रियों का कहना था कि टिक्कर ताल में दाम के हिसाब से खाने पीने के सामान की क्वालिटी स्तरीय नहीं है. शायद यही वजह है कि लोग टिक्कर ताल आते हैं नज़ारे देखने और बोटिंग का आनंद लेने लेकिन ठहरने के लिए आसपास के रिसॉर्ट और खाने के लिए हरियाणा टूरिज्म की बजाय अन्य रेस्तरां में जाना ज्यादा पसंद करते हैं.
टिक्कर ताल से सात किलोमीटर के फासले पर हरियाणा टूरिज्म (haryana tourism) का ही रेसॉर्ट 16 कमरे वाला माउंटेन क्वेल (mountain quail) है जिसका एक बड़ा रेस्टोरेंट भी हैं. यहां भी कमरे का टैरिफ तकरीबन 2500 रूपये प्रतिदिन की दर से है. माउंटेन क्वेल से भी मोरनी हिल्स का सुन्दर नज़ारा दिखाई देता है. इसके पास ही मुख्य सड़क पर आकर्षण का नया केंद्र बनता जा रहा है हरड़ वाटिका नाम का पार्क जहां औषधीय गुणों वाले पेड़ पौधे लगाये गये हैं. हरियाणा सरकार की तरफ से मुहैया कराई गई मोरनी हिल्स के थापली गांव की इस भूमि पर बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि ट्रस्ट की तरफ से इस औषधीय पौधों की पार्क हरड़ वाटिका को विकसित किया गया है. 10 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए ये योजना 2018-19 में शुरू हुई थी और यहां 5000 पौधे रोपित करने का लक्ष्य रखा गया था.
पैदल चलने के शौक़ीन और पहाड़ी रास्तों पर ट्रेकिंग करने के लिए भी मोरनी हिल्स को विचार में लाया जा सकता है. छोटे छोटे ट्रेक्स पूरे करके पहाड़ी चोटियों से घाटी के नज़ारे कैमरे में कैद करने लायक हैं जिन्हें फोटो फ्रेम करवाकर या यादों की एलबम में संजोकर रखा जा सकता है. ऐसे ही कुछ सुन्दर नज़ारे मुख्य सड़क पर बलाग गांव की शुरुआत में ही ठहरने के लिए बनी शानदार जगह रॉयल हट्स रेसॉर्ट है. ये मोरनी में कमरों के हिसाब से बड़ी गिनी चुनी 5 – 7 रिसॉर्ट्स में से एक है. पहाड़ी ढलान वाली भूमि को सीढ़ीदार बनाकर सीढ़ियों के दोनों तरफ बनाई गई आरामदायक रोशनी दार हट्स और यहां के कमरे प्राकृतिक वातावरण का हिस्सा जैसा लगते हैं. 16 कमरे और तकरीबन 50 से ज्यादा किस्म के पेड़ पौधों वाले रॉयल हट्स रिसोर्ट की बनावट ऐसी है जैसे यहां वन्य वनस्पति स्वत: ही उगी हो. बारिश के दौरान बादल कब आपको छूने कमरे तक आ गये , इसका पता भी नहीं चलेगा. और तो और आपको अचानक कुछ मीटर के फासले पर भी कुछ नहीं दिखाई देगा. यहां कभी आप खुद को बादलों से घिरा तो कभी बादलों से ऊपर महसूस करेंगे. नेचुरल ब्यूटी को निहारते हुए को यहीं से आप चाय कॉफ़ी की चुस्कियों का आनन्द ले सकते हैं. खाने पीने के लिए यहां ज़रूरत का तकरीबन सब कुछ मिल सकता है. क्यूंकि यहां टूरिस्ट की मारामारी नहीं रहती इसलिए न तो खाने पीने की सामग्री हमेशा तैयार रहती है और न ही यहां ग्राहकों की यहां भीड़ भाड़ है इसलिए जो भी सामान होता है मार्केट से फ्रेश लाकर बनाया जाता है. ये अच्छी बात भी है लेकिन इसके लिए कुक को थोड़ा वक्त ज़रूर चाहिए होता है. ये हालात यहां का स्टाफ बेहद विनम्रता से आपको समझा देता है. चाहें तो अपने हिसाब से खाना बनवा सकते है. यहां रूम सर्विस सुबह से देर रात तक उपलब्ध है. वैसे किचन स्टाफ हमेशा रहता है जो इमरजेंसी में हर तरह की मदद को तैयार भी रहता है.
हरियाणा टूरिज़्म के मुकाबले 30 से 35 फीसदी सस्ता होने के अलावा भी यहां आपको और किफायत भी हो सकती है अगर आप ग्रुप के साथ आना चाहें या तीन – चार दिन रुकना चाहें. इस बारे में यहां के प्रबन्धक और मालिक कहते हैं कि यर सब हमारी और मेहमान की ज़रूरत पर निर्भर करता है. फैमिली और दोस्तों के साथ वीकेंड आउटिंग के लिए मोरनी में रॉयल हट्स रेसॉर्ट एक अच्छी जगह के तौर पर चुनी जा सकती है. यहां रहने के दौरान बालग गांव की तरफ नीचे उतरने पर कुदरती पानी की बावली भी मिल जाती है. इसका पानी रोजमर्रा के काम के अलावा यहां के गांव वाले पीने तक में इस्तेमाल करते है.बावली के आसपास ग्रामीणों के थोड़े से घर हैं जहां आपको ग्रामीण और शहरी जीवन की आधुनिकता की मिलीजुली झलक भी मिलेगी. यहीं सीढ़ीदार खेतों और इर्द गिर्द पेड़ों में लंगूर भी मिल सकते हैं और तेंदुआ भी. लेकिन लोग कहते हैं कि उस हालत में डरने की ज़रूरत नहीं है. शर्मीले स्वभाव का तेंदुआ इंसान को देखकर खुद ही अपना रास्ता बदल लेता है. वो तब तक इंसान के व्यवहार पर प्रतिक्रियात्मक उत्तर नहीं देता जब तक उसे इंसान से खतरा महसूस नहीं होता. वैसे लोग भी बताते हैं कि मोरनी क्षेत्र में तेंदुए के किसी इंसान पर हमला करने की घटना नहीं सुनी गई.
रॉयल हट्स रेसॉर्ट ( royal huts resort ) से थोड़ा ऊपर की तरफ जाएंगे तो ट्रेकिंग के लिए एक अच्छा अवसर मिल सकता है. वहां से चन्द्रावल कुंज रेसोर्ट के लिए रास्ता जाता है. उसी के ठीक सामने पहाड़ी पर ऊपर जाने की पगडंडी है. देवदार और चीड़ के जंगल वाले इस पहाड़ पर ट्रेकिंग 10 मिनट के करीब ही होगी लेकिन संभल कर जाना होगा. यहां छोटी से उस टिक्कर ताल का सुंदर नज़ारा देखा जा सकता है जहां तक सड़क का 7 .5 किलोमीटर का फासला तय करना होता है. अगर मौसम साफ़ है तो यहां से टिक्कर ताल के पानी में चलती नाव भी आपको दिखाई देगी. मोरनी हिल्स में चन्द्रवल कुंज भी ठहरने के लिए एक अच्छा स्थान हो सकती है लेकिन यहां चार ही हट्स हैं. वैसे यहां के बड़े से सुन्दर लॉन में कैम्पिंग का भी आनंद लिया जा सकता है. यहीं पर रेस्टोरेंट भी है. लेकिन यहां मांसाहार खाना नहीं लाया जाता. कर्मचारी बताते हैं कि इसका एक कारण तेंदुआ भी है जो मांस की महक के कारण यहां आ सकता है.
मोरनी हिल्स में देखने के लिए नाहन के राजा का एक किला भी है जो 17 वीं शताब्दी का बताया जाता है. इस किले को अब प्रकृति के संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है. प्रकृति और इसके इतिहास को समझने के लिए ये एक अच्छा स्थान है. बच्चों और खासतौर से जिज्ञासु स्वभाव वाले लोगों के लिए ये आकर्षण का केंद्र है.
चंड़ीगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वालों के लिए वीकेंड बिताने के लिए तो मोरनी हिल्स अच्छी जगह है ही, पूरा दिन अकेले बिताने के लिए जवान जोड़ों या अविवाहित जोड़ों ने भी अपनी पसंद बना लिया है. आसपास की यूनिवर्सिटी /कॉलेज में पढ़ने वाले युवा यहां जोड़ों में या ग्रुप में दिखाई दे जाते है.
मोरनी जाने वालों को एक बात का ख़ास ख्याल रखना पड़ेगा और वो ये कि अगर आप यहां कुछ दिन रहकर वाहन से इधर उधर जाने की सोचें तो इसके लिए अपने वाहन में पेट्रोल /डीज़ल पर्याप्त मात्रा में भरवा लें. मोरनी हिल्स में पेट्रोल पंप नहीं है. दूसरा इस बात का भी ख्याल रखें कि यहां रहने के लिए इस बात के लिए तैयार रहें कि आपको सीढ़ियां चढ़नी उतरनी होंगी. साथ ही आते जाते समय अपने सामान को बंदरों की पहुंच से दूर रखें.