43 दिन की अमरनाथ जी यात्रा 30 जून से शुरू होगी, रजिस्ट्रेशन चालू हैं

43 दिन की अमरनाथ जी यात्रा 30 जून से शुरू होगी, रजिस्ट्रेशन चालू हैं

दो साल के अंतराल के बाद जम्मू कश्मीर में अमरनाथ जी यात्रा 2022 (amarnath yatra 2022) की तैयारियां शुरू हो गई हैं. 30 जून 2022 से 11 अगस्त तक होने वाली 43 दिन की अमरनाथ जी यात्रा का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. जिस रफ्तार से लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराना शुरू किया है और जैसी कि तैयारियां चल रही हैं 2022 में अमरनाथ जी यात्रियों की संख्या पहले के मुकाबले बहुत ज़्यादा होने की सम्भावना है. 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 (article 370) हटाए जाने के कारण तब यात्रा छोटी करके रोक दी गई थी. उसके बाद 2022 पहला साल है जब अमरनाथ जी यात्रा हो रही है. वैसे अमरनाथ श्राइन बोर्ड इस बार 6 से 8 लाख तीर्थयात्रियों के लिए अमरनाथ की पवित्र गुफा में शिवलिंग के दर्शन की तैयारी कर रहा है.

अमरनाथ जी यात्रा 2022

श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के सीईओ नीतीश्वर कुमार.

सुरक्षा एजेंसियों के लिए अमरनाथ यात्रा के लिए इंतजाम करना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जम्मू कश्मीर (jammu kashmir) में आतंकवाद की छिटपुट घटनाएं अभी भी जारी हैं. आतंकवाद के अलावा कोविड संक्रमण (covid infection) को फैलने से रोकना भी अमरनाथ यात्रा के इंतज़ाम में एक बड़ी चुनौती होगी. दूसरी तरफ इस यात्रा को लेकर जम्मू कश्मीर में पर्यटन ( tourism in jammu kashmir ) व इससे सम्बद्ध कारोबार करने वालों में काफी उत्साह है. इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उच्चस्तरीय बैठक की गई जिसमें सुरक्षा और यात्रा से जुड़े बंदोबस्त पर अहम फैसले लिए गए. श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ( shri amarnathji shrine board ) के सीईओ नीतीश्वर कुमार का कहना है कि इस बार हम पहले के मुकाबले दोगुने से ज्यादा तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद कर रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए खाने – पीने , ठहरने , शौच आदि के बन्दोबस्त किये जा रहे हैं.

दक्षिण कश्मीर में 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ की पवित्र गुफा (amarnath cave ) में बने बर्फ के शिवलिंग के दर्शन हो गये हैं और शिवलिंग की वे ताज़ा तस्वीरें भी इंटरनेट पर साझा की जा रही हैं जो वहां पहुंचे कुछ यात्रियों ने खींची हैं. अमरनाथ यात्रा 2022 के लिए रजिस्ट्रेशन सोमवार से शुरू हो गया है. अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर कराया जा सकता है. वैसे देशभर में जम्मू कश्मीर बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और येस बैंक विभिन्न की 446 शाखाओं में भी ये सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (sbi ) की 100 शाखाओं में भी अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्री अपना पंजीकरण करवा सकते हैं. इन तमाम शाखाओं की जानकारी श्राइन बोर्ड की वेबसाइट से ली जा सकती है.

अमरनाथ जी यात्रा 2022

अर्बन लोकल बाडी कश्मीर की निदेशक ने आज 18 अप्रैल को अमरनाथ यात्रा 2022 की तैयारियों और व्यवस्थाओं की समीक्षा की.

अमरनाथ यात्रा पर कोई भी जा सकता है बशर्ते उसकी उम्र 13 से 75 साल की हो. स्वास्थ्य कारणों से 6 माह से ऊपर की गर्भवती महिलाओं के लिए यात्रा में जाने पर रोक है. रजिस्ट्रेशन के लिए (registration for amarnath yatra) यात्रियों को ब्यौरे का फार्म भरना होगा और साथ ही डॉक्टर या स्वास्थ्य संस्थान से जारी सर्टिफिकेट (health certificate ) भी जमा कराना होगा और उसके आधार पर भी एक फॉर्म भरकर जमा कराना होगा. साथ में उनको चार पासपोर्ट साइज़ फोटो देने होंगे. इनमें से तीन यात्रा परमिट के लिए और 1 फार्म के लिए होगा. अमरनाथ यात्रा 2022 के रजिस्ट्रेशन के लिए 120 रुपये फीस देनी होगी. जिन यात्रियों ने पिछले साल रजिस्ट्रेशन कराया था उनको सिर्फ 20 रुपये देने होंगे. बोर्ड हरेक तीर्थ यात्री पर नज़र रखने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन ( radio frequency identification – RFID) टैग जारी करेगा. यात्री को नये टैग हमेशा अपने साथ रखना होगा. ये उस यात्री की सुरक्षा के लिए जहां ज़रूरी है वहीं यात्रा में किसी अवांछित व्यक्ति या आतंकवादी के घुसने पर रोक लगाने के हिसाब से भी ख़ास है.

भारत का सबसे ऊंचा युद्ध विजय का स्मारक जहां लड़ी गई चप्परचिड़ि की जंग

भारत का सबसे ऊंचा युद्ध विजय का स्मारक जहां लड़ी गई चप्परचिड़ि की जंग

चप्परचिड़ि ..! पंजाब का छोटा सा एक गांव ज़रूर है लेकिन सूबे और सिख इतिहास के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण है. अगर आप चंडीगढ़ के आसपास हैं या घूमने के लिए पंजाब जा रहे हैं तो चप्परचिड़ि ज़रूर जाना चाहिए. भारत में मुगलिया आक्रांताओं के अंत की एक और शुरुआत दरअसल यहां पर उस जंग से हुई थी जिस जंग में गुरु गोबिंद सिंह के दाहिना हाथ माने गये योद्धा बन्दा सिंह बहादुर ने फतेह हासिल की थी. चप्परचिड़ि में युद्ध के मैदान में बन्दा सिंह बहादुर ने सरहिंद के ज़ालिम शासक वज़ीर खान को मारकर गुरु गोबिंद सिंह के छोटे दो साहिबजादों की बेहद दर्दनाक और हैवानियत भरे तरीके से दी गई मौत का बदला लिया था. वज़ीर खान ने इन बच्चों ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में ज़िंदा चिनवाया था. बन्दा सिंह बहादुर की चप्परचिड़ि जंग की जीत को ज़हन में जिंदा रखने के लिए यहां पर एक शानदार यादगार बनाई गई है. यहां बना 328 फुट ऊंचा फतेह बुर्ज़ इस यादगार का सबसे बड़ा आकर्षण है. इसे भारत में स्थापित सबसे ऊंची जंगी यादगार (war memorial) कहा जा सकता है.

चप्परचिड़ि

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक

चप्परचिड़ि यादगार पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से तकरीबन 15 किलोमीटर के फासले पर 20 एकड़ क्षेत्र में फैले मैदान में हरे भरे लान और पेड़ों के झुरमुटों से भरा एक खूबसूरत स्थान है. किलेनुमा ऊंची ऊंची दीवारों के बीच विशाल दरवाजे से प्रवेश करते ही सामने तीन मंजिलों में बने फतेह बुर्ज़ के दर्शन होते हैं. अष्टभुजा आकार वाले इस मीनार रुपी इमारत की हरेक मंजिल किसी एक जंगी फतेह को दर्शाती है. 67 फुट की मंजिल समाना, 117 फुट वाली साढौरा फतेह और सबसे ऊपर चप्परचिड़ि फतेह वाली मंजिल 220 फुट ऊंची है. बुर्ज़ बनाने में ई पीडीएम जाल का इस्तेमाल किया गया है और इसका भीतरी हिस्सा आरसीसी का है जो हर तरह के भूचाल के झटके को सह सकता है. दीवारों को स्टील पिलरों की सपोर्ट दी गई है और दावा किया गया है कि ये मीनार 180 किलोमीटर की रफ्तार से आने वाले तूफ़ान को भी झेल सकती है. सबसे ऊपर कलश और सिख प्रतीक खंडा स्थापित किया गया है. बुर्ज़ की दीवारों में वैसी तिकोनी खिड़कियां बनाई गई हैं जिनके पीछे छिपकर सैनिक बाहर की तरफ मौजूद या आगे बढ़ते दुश्मन पर नज़र रखते थे और वहीं पर रखी बन्दूकों से निशाना साधते थे. इसके सामने साफ़ पानी का तालाब और अलग अलग टीलों पर बाबा बन्दा सिंह बहादुर और उनके पांच जरनैलों फतेह सिंह, आली सिंह, माली सिंह, बाज सिंह और राम सिंह के बुत हैं जिनका रंग सलेटी है और वेशभूषा योद्धाओं वाली है. ये बुत भारत के उस मशहूर मूर्तिकार प्रभात राय ने बनाए हैं जिनकी ख्याति अब विदेशों में भी पहुंच चुकी है.

चप्परचिड़ि

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक

टीलों पर बुतों की स्थापना :

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक में टीलों पर इन बुतों को स्थापित करने का विचार यहां हुए युद्ध के ऐतिहासिक तथ्यों को ज़ाहिर करने के मकसद से आया था. असल में, चप्परचिड़ि में 12 मई 1710 को लड़े गए युद्ध की जो कहानी लोकप्रिय है उसके मुताबिक़ सरहिंद के शासक ने बन्दा बहादुर सिंह की सेना से मुकाबले के लिए ये मैदान चुना. उसने मैदान के हिस्से में अपनी सैनिकों को तैनात कर दिया बाकी बचे हिस्से में काफी जगह ऐसी ऊंची नीची थी कि उसे पार करने के लिए दौड़ना या सैनिकों के लिए घोड़ों को तेज़ दौड़ाना मुश्किल था. यहां रेत के टीले थे. लेकिन बंदा सिंह बहादुर ने मैदान की इसी कमी को अपने पक्ष में फायदेमंद साबित कर दिया. उन्होंने इन टीलों की ऊंचाई का फायदा उठाया जहां से दूर तक नज़र जाती थी और रणभूमि में अपने और दुश्मन सैनिकों की वास्तविक स्थिति का सही अंदाज़ा लग जाता था. इससे उनको जीत के लिए समर नीति बनाने में सहूलियत होती थी. ऊंचाई से देखते हुए सही तरीके से निर्देश भी दिए जा सकते हैं. यहां बनाए गए 6 टीलों में से चार तो मिट्टी के है और 2 सीमेंट व कंकरीट के मिक्सचर से बने हैं.

चप्परचिड़ि

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक

शाम को रंगबिरंगी रोशनी में अलग है नज़ारा :

फतेह बुर्ज़ की यहां के तालाब में दिखने वाली छाया एक अलग नज़ारा पेश करती है. दिन में दूर से ही दिखाई देने वाला ये बुर्ज़ शाम को बिलकुल अलग छटा बिखेरता है जब इस पर अलग अलग रंग की रोशनी डाली जाती है. हर मंजिल को अलग रंग की लाइट से सराबोर किया जाता है. इसी तरह टीलों पर स्थापित बाबा बंदा सिंह बहादुर और उनके जरनैलों के बुतों पर भी अलग से लाइटिंग की जाती है तो वे और निखर के सामने आते हैं. यहां लाइट के रंग बदलते रहते हैं जिससे पूरा क्षेत्र जगमगाता रहता है. फतेह बुर्ज़ की तिकौनी खिड़कियों से लम्बी धार की तरह दूर ऊंचाई तक जब रंगबिरंगी रोशनी पहुंचती है तो नज़ारा अद्भुत होता है.

चप्परचिड़ि

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक

बदलाव की कोशिश :

चप्परचिड़ि में जंगी यादगार का उद्घाटन 1911 में हुआ था. पंजाब में 2012 में प्रकाश सिंह बाद के नेतृत्व में बनी शिरोमणि अकाली दल की सरकार ने यहीं पर शपथ ग्रहण किया था. चप्पर चिड़ि यादगार की देखभाल का ज़िम्मा सरकारी एजेंसी ग्रेटर मोहाली डेवलपमेंट अथॉरिटी (gmada) के पास था. इसके बाद आई कांग्रेस सरकार ने इस स्थान को लेकर बेरुखी अपनाई रखी और वैश्विक महामारी कोविड 19 के दौर में यहां के हालात और खराब हो गए. 2021 के उत्तरार्ध में इसे एक प्राइवेट कंपनी को 15 साल के लिए लीज़ पर दिया गया है. पंजाब, सिख इतिहास और विभिन्न युद्धों के बारे में जानकारी देने के लिए यहां फोटो दीर्घा भी है. एक थियेटर भी विकसित किये जाने का प्लान है. द रिपोर्टर यात्रा की टीम जब यहां पहुंची तो इस कंपनी ने काम संभाला ही था और कुछ बेहतर करने की तैयारियां चल रही थीं लेकिन फतेह बुर्ज़ के ऊपर जाना संभव नहीं हो पाया. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि ऊपर जाने के लिए लिफ्ट का प्रावधान तो किया गया लेकिन वो चालू ही नहीं हो पाई. सीढ़ियां हैं लेकिन उन पर जाने की मनाही है. तर्क दिया गया कि सीढ़ियों की हालत खस्ता है और मरम्मत का काम चल रहा है.

चप्परचिड़ि

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक

कैसे पहुंचे चप्परचिड़ि :

चप्परचिड़ि युद्ध स्मारक पंजाब में एस ए एस नगर (साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर) में है. यहां का गांव चप्परचिड़ि ग्रेटर मोहाली में सेक्टर 91 में है. ये राजधानी दिल्ली से तकरीबन 250 किलोमीटर फासले है. यहां हवाई अड्डा भी नज़दीक है. बस से जाना हो तो चंडीगढ़ के सेक्टर 43 का बस अड्डा इस स्थान के करीब पड़ेगा. वहां से ट्रांसपोर्ट का कोई लोकल साधन ऑटो, टैक्सी आदि मिल सकता है.

धरती पर इंद्रधनुष देखना है तो चले आइए यहां 23 मार्च के बाद कभी भी

धरती पर इंद्रधनुष देखना है तो चले आइए यहां 23 मार्च के बाद कभी भी

अगर आप भारत में हैं और यहां धरती पर इंद्रधनुष देखना चाहते हैं तो चले जाइए जम्मू कश्मीर (jammu kashmir) की राजधानी श्रीनगर. यहां रंग बिरंगे ट्यूलिप फूलों से बना इंद्रधनुष वाकई आपको पसंद आएगा. इस साल भी आपको ये नज़ारा दिखाने के लिए एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन (tulip garden) सजधज के तैयार है जो जनता के लिए इस साल 23 मार्च से खुलने वाला है. पुष्प प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौक़ीन लोगों के लिए तो ये बेहद ख़ास मौका है.

पहले फ्लोरीकल्चर सेंटर कहलाने वाला श्रीनगर का इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन, डल झील (dal lake) के सामने ज़बरवन रेंज की तलहटी पर 30 एकड़ इलाके में बना हुआ है. फूलों की खेती व संस्कृति को बढ़ावा देने और पर्यटन के नज़रिए से 2007 में बनाया गया श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन हर साल अप्रैल में होने वाले ट्यूलिप फेस्टिवल (tulip festival) के लिए मशहूर है.

एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन

एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में, घूमने आने वाले सैलानियों के लिए, ट्यूलिप गार्डन आकर्षण का एक और केंद्र बन गया है. पहाड़ी ढलान वाले क्षेत्र में छत की तरह सात हिस्सों में इसे बनाया गया है. यहां विभिन्न रंगों और डिजायन वाले 68 क़िस्म के 15 लाख ट्यूलिप के अलावा यहां और भी खूबसूरत रंग बिरंगे फूलों की किस्में के पौधे लगाए गए हैं. अभी ट्यूलिप फेस्टिवल की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. वैसे इस उत्सव के दौरान मनोरंजन के ख़ास कार्यक्रम भी किये जाते हैं.

ढलती शीत ऋतु के इन दिनों में कश्मीर घूमने जाने वालों के लिए इस गार्डन में न जाने का मतलब कश्मीर ट्रिप का अधूरा रहना माना जाता है. भारत में कई पुष्प प्रेमी तो सिर्फ इस गार्डन को देखने के लिए ही श्रीनगर जाने का प्लान बनाते हैं. ट्यूलिप गार्डन के सहायक फ्लोरीकल्चर अधिकारी (assistant floriculture officer) इनाम उल रहमान के मुताबिक़ इस बार यहां ट्यूलिप के अलावा हयसन, डेफोडिल आदि फूल भी खिले देखे जा सकते हैं. इसके अलावा यहां ट्यूलिप गार्डन के पूर्वी छोर पर सकूरा गार्डन (sakura garden) भी विकसित किया जा रहा है जो आने वाले समय में सैलानियों के लिए आकर्षण का एक और केंद्र बनेगा. ट्यूलिप गार्डन में एक ओपन एयर कैफेटेरिया (open air cafeteria) भी तैयार किया जा रहा है.

श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन देखने के लिए पिछले साल यानि 2021 में 2 लाख आए थे जबकि कोविड 19 का संक्रमण अचानक फिर से फैलने के कारण इसे पहले ही बंद कर दिया गया था.

दिल्ली में इस तरह पहली बार खिले दिखाई दे रहे हैं रंग बिरंगे ट्यूलिप

दिल्ली में इस तरह पहली बार खिले दिखाई दे रहे हैं रंग बिरंगे ट्यूलिप

दुनिया भर में चुनिंदा जगहों पर ही उगाए जा सकने वाले वाले ट्यूलिप के अलग अलग रंगों के खूबसूरत फूल भारत की राजधानी दिल्ली में आने वालों के लिए नया आकर्षण हैं. जाती सर्दियों के बीच फिज़ा में हल्की हल्की गरमायश लाते मदमस्त वसंत में ट्यूलिप फूलों (tulip flower) का उन क्यारियों में खिलना शुरू हो गया है जिन तक कोई भी आसानी से पहुंच सकता है. अभी तक ये तो दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति भवन के मुग़ल गार्डन की ही शोभा बढ़ाते थे लेकिन अब ट्यूलिप शहर की चुनिंदा सड़क किनारों और पार्क में भी रौनक में इजाफा करते दिखाई देने लगे हैं.

ट्यूलिप

ट्यूलिप के अलग अलग रंगों के खूबसूरत फूल भारत की राजधानी दिल्ली में आने वालों के लिए नया आकर्षण हैं.

सबसे महंगे फूलों में शुमार ट्यूलिप (tulip) यूं तो राष्ट्रपति भवन के मुग़ल गार्डन में ख़ास जगह रखता है लेकिन वहां बिना ऑनलाइन बुकिंग के नहीं जाया जा सकता और न ही कैमरा ले जाने की इजाज़त है. मोबाइल फोन का भी वहां पर इस्तेमाल मना है. साथ ही आजकल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए तय नियमों के साथ साथ सुरक्षा कारण से भी ज्यादा पाबंदियां हैं.

जो लोग दिल्ली घूमने आये हुए हैं या इसी हफ्ते में आ रहे हैं और अगर ट्यूलिप की खूबसूरती को करीब से महसूस करना चाहते हैं, उनके लिए बिना किसी झंझट के ट्यूलिप फूलों को करीब से निहारने का एक अच्छा मौका है. फिलहाल इन ट्यूलिप को राजनयिक इलाके चाणक्यपुरी में देखा जा सकता है. यहीं नहीं आप इन ट्यूलिप फूलों के नज़दीक से फोटो , सेल्फी तो ले ही सकते हैं, वीडियो भी रेकॉर्ड कर सकते हैं. इसके लिए कोई टिकट भी नहीं लेना होगा.

ट्यूलिप

ट्यूलिप के अलग अलग रंगों के खूबसूरत फूल भारत की राजधानी दिल्ली में आने वालों के लिए नया आकर्षण हैं.

दिल्ली में इन सर्दियों में लगाये ट्यूलिप के पौधों में फूल खिलने शुरू हो गये हैं. चाणक्यपुरी में शांतिपथ पर ब्रिटिश उच्चायोग ( british high commission ) के पास वाले बड़े गोल चक्कर (round about ) में बने पार्क में अलग अलग रंगों वाले खिले ट्यूलिप देखना बेहद आसान है. यहां गुलाबी , लाल , केसरी , पीले और सफेद ट्यूलिप के फूलों वाली क्यारियां गुलज़ार हो गई हैं. ऐसा हो नहीं सकता कि दिल्ली में दूतावासों वाले इस इलाके की मुख्य सड़क से आप गुजरें और शांतिपथ – पंचशील मार्ग के इस गोल चक्कर पर आपका ध्यान न जाये. ट्यूलिप के कद्रदान तो दूर से ही यहां दिखाई दे जाएंगे. हर उम्र के लोगों के लिए ये जगह आकर्षण बनी है. लोग खासतौर से दिल्ली एनसीआर के दूर के इलाकों से भी यहां खींचे चले आ रहे हैं.

ट्यूलिप

ट्यूलिप के अलग अलग रंगों के खूबसूरत फूल भारत की राजधानी दिल्ली में आने वालों के लिए नया आकर्षण हैं.

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (ndmc) ने दिल्ली में और सार्वजनिक जगह पर भी पहली बार ट्यूलिप के पौधे लगाए हैं. इनमें से एक खास जगह कनॉट प्लेस का सेंट्रल पार्क है लेकिन फिलहाल इसमें प्रवेश बंद है. यहां और वैरायटी के फूल भी लगाये गये हैं लेकिन कोरोना वायरस ( corona virus ) संक्रमण की रोकथाम के कारण लागू नियमों की वजह से पार्क में जनता नहीं जा सकती. उम्मीद की जा रही ही कि कोरोना के हालात जिस तेज़ी से सुधर रहे हैं उसे देखते हुए पार्क में एंट्री शुरू हो जायेगी. लेकिन इसका इंतज़ार करने से अच्छा है कि चाणक्यपुरी जाकर इनको देखा जाए. ध्यान रखें कहीं ये इंतज़ार लम्बा न हो जाये. ट्यूलिप मौसमी फूल हैं और दिल्ली जैसे स्थान पर जल्द ही गर्मी बढ़ने पर ये ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाते.

ट्यूलिप

ट्यूलिप के अलग अलग रंगों के खूबसूरत फूल भारत की राजधानी दिल्ली में आने वालों के लिए नया आकर्षण हैं.

ट्यूलिप फूल की खासियत :

4 इंच से लेकर 2 फुट तक के ऊंचाई वाले हरे तने पर उगने वाला ये फूल बड़े आकार फूलों में शुमार है. तने पर भी पत्ते बहुत कम होते है. आमतौर पर 5 से 10. ट्यूलिप की अलग अलग किस्में भी हैं और इसके फूल अलग अलग रंग के भी हैं. सभी के रंग चमक दार और भड़कीले कहे जा सकते हैं. सफेद ट्यूलिप भी कम खूबसूरत नहीं है. टूटने के बाद ये ज्यादा दिन तक नहीं रह सकता. ट्यूलिप फूल की पत्तियां भी गुलाब की तरह बिखर जाती हैं.

भारत और आस्ट्रेलिया में नया समझौता : एक दूसरे के यहां पर्यटन को बढ़ावा देंगे

भारत और आस्ट्रेलिया में नया समझौता : एक दूसरे के यहां पर्यटन को बढ़ावा देंगे

सैर सपाटे के लिए भारत से आस्ट्रेलिया और आस्ट्रेलिया से भारत आने वालों और इससे जुड़े पर्यटन उद्योग के लोगों व संस्थानों के लिए ये अच्छी खबर है. दोनों देशों ,भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आज (11 फरवरी, 2022 ) को नई दिल्ली में पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू -MOU) पर दस्तखत किए हैं. भारत भ्रमण के लिए आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या के मामले में ऑस्ट्रेलिया से आने वाले सैलानियों की तादाद काफी ज्यादा है.

एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ समझौता ज्ञापन पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की तरफ से वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने और ऑस्ट्रेलिया सरकार की तरफ से सांसद, व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री दान तेहान ने दस्तखत किये. उम्मीद की जा रही है कि यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाएगा और पर्यटन में द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार को प्रोत्साहित करेगा.

समझौता ज्ञापन पर्यटन से संबंधित सूचना व डेटा के आदान-प्रदान, पर्यटन हितधारकों और खासतौर से होटल व टूर ऑपरेटरों के बीच सहयोग, पर्यटन और आतिथ्य में प्रशिक्षण व शिक्षा प्रदाताओं के बीच सहयोग व आदान-प्रदान, इस क्षेत्र में निवेश करने में सहायता करेगा. वहीं टूर ऑपरेटरों, थोक व्यापारी, मीडिया और विचारों को प्रभावित करने व्यक्तियों के एक दूसरे के देश में दौरे आयोजित करने में सहूलियत प्रदान करेगा. उच्च गुणवत्तापूर्ण, सुरक्षित, नैतिक और सतत पर्यटन विकास के साथ प्रमुख सांस्कृतिक, कलात्मक और खेल आयोजनों में रुचि को भी इसके जरिये बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा परस्पर देशों में लागू कानूनों, नियमों और निर्देशों पर यात्री शिक्षा के लिए अवसर और बहुपक्षीय मंचों में पर्यटन पर आपसी सहयोग आदि क्षेत्रों में भी ये एमओयू मदद करेगा.

विज्ञप्ति के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलिया भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन सृजन करने वाले बाजारों में से एक है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2019 में ऑस्ट्रेलिया देश में विदेशी पर्यटकों के आगमन में चौथे स्थान पर है और देश में विदेशी पर्यटकों के कुल पर्यटन हिस्से में 3.4 प्रतिशत का योगदान देता है.

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने पहले 18 नवंबर 2014 को पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर दस्तखत किए थे. उस समझौता ज्ञापन की रूपरेखा के तहत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्यटन पर संयुक्त कार्य समूह की तीन बैठकें की गईं. वो समझौता ज्ञापन, 2019 में खत्म हो गया था.

आंकड़े बताते हैं कि समझौता ज्ञापन ने दोनों देशों के बीच पर्यटक यातायात को बढ़ावा देने में मदद की. पिछले कुछ वर्षों में भारत यात्रा पर आ रहे ऑस्ट्रेलिया के पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. 2016 में, 2,93,625 ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक भारत आए थे और 2019 में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़कर 3,67,241 हो गई. इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने वाले भारतीयों की तादाद भी 2,62,250 से बढ़कर 2019 में 5,89,539 हो गई. 27 नवंबर 2014 से, ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों को, भारत इलेक्ट्रॉनिक पर्यटक वीजा की पेशकश कर रहा है.

वर्तमान में भारत के पर्यटन मंत्रालय का 45 देशों के साथ समझौता है. उम्मीद की जाती है कि महामारी के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्यटन के क्षेत्र में हुआ वर्तमान समझौता, दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देगा.