चंडीगढ़ – दिल्ली के बीच यानि हाई- वे 44 पर गुजरते समय पीपली से बायीं तरफ मुड़ने के बाद करीब दस किलोमीटर तक सड़क किनारे खेत खलियान और इक्का दुक्का फैक्ट्री या गोदाम जैसी जगह देखने से लगता है कि आप एक साधारण से ग्रामीण इलाके से गुज़र रहे हैं. सहारनपुर की तरफ जाते इस राजमार्ग के थोड़ी शहरी आबादी का अहसास कराते हिस्से में प्रवेश करते ही दिखाई देने वाली एक छोटी सी बिल्डिंग अचानक एक झटका सा देती है.
मुरथल के टेस्टी परांठे और ढाबे जिन्होंने बदल डाली दिल्ली – चंडीगढ़ रूट की फ़िज़ा
परांठा ..! एक ज़माना था जव ये लफ्ज़ सुनते ही दिल्ली वालों के ज़हन में चांदनी चौक की गली परांठे वाली की तस्वीर आती थी. यहां के खुशबूदार पराठों की याद सताने लगती थी. देसी घी में बने अजब ग़जब लज़ीज़ परांठे आज भी वहां मिलते हैं लेकिन दिल्ली के उन परांठों से ज्यादा चर्चा मुरथल के परांठों की होने लगी है.
बदला चांदनी चौक पर नहीं बदली 150 साल पुरानी ये दुकान और इसका स्वाद
भारत की राजधानी दिल्ली का ऐतिहासिक बाज़ार चांदनी चौक कुछ मामलों में तो बदल रहा है और यहाँ आना – जाना और घूमना थोड़ा आरामदायक हो गया है जो अच्छा लगता है. लेकिन काफी कुछ ऐसा भी जो नहीं बदला और इसका न बदलना सबसे अच्छी बात कही जा सकती है क्यूंकि ये हमें अपनी उन जड़ों से जोड़े रखती है जो हमें एक अलग तरह की ज़हनी ताकत देते हैं.
हवाई अड्डे में साधारण कीमत वाले कोल्ड ड्रिंक्स और पानी छिपाकर रखे जाते हैं
कुदरती तौर पर मौजूद पानी की पैकिंग करके बेचे जाने के व्यवसाय में अच्छा खासा मुनाफा होने के बावजूद इसे बेचने और बिकवाने वाले ग्राहकों को बेफकूफ बनाकर