अंग्रेज़ी हुकूमत से मिली आज़ादी के बाद आधुनिक भारत में व्यवस्थित तरीके से बनाये और बसाये गए चंडीगढ़ शहर के नये आकर्षणों में से एक है जापानी पार्क. चंडीगढ़ नगर निगम का बनाया ये खूबसूरत पार्क जापानी संस्कृति के उन पहलुओं को समेटे हुए है जो प्रकृति प्रेम, शांति और अध्यात्म के गुणों से लबरेज़ हैं. इस थीम पार्क की खासियत है कि यहाँ कुछ ऐसे पेड़ पौधे भी उगाये गये हैं जो आम तौर पर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में नहीं दिखाई देते. रुद्राक्ष के पेड़ और चीड़ के पेड़ (pine tree) तो यहाँ एक कोने में सुन्दर झुरमुट के तौर पर दिखाई देते हैं वहीं जापानी पार्क में बांस के पेड़ों (bamboo tree) की संख्या अच्छी खासी है. अलग अलग साइज़ के बैम्बू ट्री यहाँ जगह जगह देखने को मिलते हैं. जापानी पार्क में बांस के पेड़ों की दो किस्में हैं – गोल्डन बैम्बू (golden bamboo) और ब्लैक बैम्बू (black bamboo).

जापानी पार्क में पैगोडा

चंडीगढ़ के सेक्टर 31 और 32 के बीच के खाली पड़े क्षेत्र को जापानी पार्क के तौर पर विकसित करके यहाँ तकरीबन 30 -35 किस्म के पेड़ पौधे लगाये गए हैं जिनमें चांदनी, कनेर, फाईकस, पाल्म आदि के विभिन्न प्रजातियां के हैं. यहाँ लगाये गये रुद्राक्ष के पेड़ों पर तीन मुखी और चार मुखी फल लगते हैं. हरे भरे जापानी पार्क में जगह जगह अलग अलग आकार की बना कर रखी गई कलाकृतियां जापानी रहन सहन के प्रति जिज्ञासा पैदा करती हैं. इन कलाकृतियों में ज्यादातर गोलाई में बनी हुई हैं जैसा कि आमतौर पर जापानी डिजाइन पाए जाते है. नुकीले या किनारे वाले नहीं.

चंडीगढ का जापानी पार्क

जापानी पार्क में आने वालों को यहाँ जगह जगह महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएं दिखेंगी जो अलग अलग रंगों और आकार की तो हैं ही अलग अलग किस्म की सामग्री से भी बनाई गई हैं. हरी हरी नर्म और सुन्दर करीने से कटी घास वाले लैंड स्केप पार्क की सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं. कई जगह पर पार्क में पेड़ पौधों की छंटाई करके उनको सुन्दर आकृति दी गई है. पार्क में तीन जगहों पर नहर की शक्ल में जलाशय बनाये गये जिनमें टैंक से पानी भरे जाने की व्यवस्था की गई है. स्थानीय लोग इनको झील भी कहते हैं. इनके किनारे पर मगरमच्छ, मछली और कछुए जैसे जलीय जीवों की कलाकृतियां भी सजाई गई हैं. बच्चों के लिए ये ख़ास आकर्षण पैदा करती हैं.

चंडीगढ का जापानी पार्क

पार्क के प्रवेश द्वार से लेकर अलग अलग हिस्सों की एंट्री वाली जगह में जापानी वास्तु शैली से बने गेट है. बौद्ध संस्कृति की छाप यहाँ बने पैगोडा से भी दिखाई देती है. इसी तरह जापानी पार्क के एक छोर पर मेडिटेशन हट (meditation hut) भी बनाई गई है जहां ध्यान लगाया जा सकता है. गोल आकार की इस मेडिटेशन हट की बनावट में ख्याल रखा गया है कि इसमें बैठकर ध्यान लगाने वालों को बाहर की गतिविधियाँ रुकावट न डालें. इसके सब तरफ छोटे छोटे झरोखे बनाये गये है जिससे हल्की हल्की हवा और रोशनी भीतर आती रहे. पार्क में पैगोड़ा (pagoda) भी बने हैं जो स्तूप के आकार से प्रभावित हैं.

चंडीगढ का जापानी पार्क

जापानी पार्क में अन्य तरह के पारम्परिक झूलों के साथ यहां ड्रेगन के आकार का भी झूला है जो बच्चों को ही नहीं हर उम्र के शख्स को आकर्षित करता है. यहाँ घूमने आने वालों को इस जगह पर फोटो खिंचवाना बहुत पसंद आता है. यूं तो यहाँ खूबसूरत फ्रेम के साथ फोटो खिंचवाने के काफी मौके हैं वहीं पर्याप्त स्थान, आकार और प्राकृतिक सौन्दर्य सेल्फी प्रेमियों को भी तरह तरह के एंगल से अपनी तस्वीर खींचने के मौके देता है. जापानी लिबास पहने छतरी लिए महिला की वीडियोग्राफी करते शख्स के दृश्य वाली कलाकृति भी लोगों के चेहरे पर मुस्कराहट ले आती है.

चंडीगढ का जापानी पार्क

चंडीगढ़ के जापानी पार्क के अलग अलग हिस्सों को जोड़ने के लिए सुरंगनुमा रास्ता बनाया गया है जिसके दोनों तरफ दीवार पर जापानी संस्कृति और चित्रकला को दर्शाती पेंटिंग्स बनाई गई हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि शांत वातावरण में शहर के बीच प्राकृतिक सौदर्य का बोध करते हुए यदि चंडीगढ़ में कुछ वक्त बिताना हो तो यहाँ आया जा सकता है. जिज्ञासु प्रवृत्ति के लोगों को यहाँ और समय बिताने के अवसर मिल सकते हैं.

यहाँ यहीं पर खाने पीने का सामान बेचने के लिए कैंटीन नुमा फ़ूड स्टाल कोर्ट बने है जहां स्नैक्स मिलते थे लेकिन कोविड महामारी के दौर में ये बंद हो गये. अस्थाई व्यवस्था के तौर पर यहाँ कोल्ड ड्रिंक्स, पानी और भेल पूरी चाट आदि जैसी खाने पीने की चीज़ें बेचने के लिए दो तीन ठिकाने बनाये गये हैं. जापानी पार्क सुबह से लेकर रात तक खुला रहता है. यहाँ एंट्री के लिए कोई टिकट नहीं है और न ही वाहन पार्क करने का कोई शुल्क है.

चंडीगढ का जापानी पार्क

पार्क का पहला हिस्सा बनाने में 4 साल लगे थे जो 2014 में बनकर तैयार हो गया था और इसका दूसरा हिस्सा 2017 में तैयार हुआ. अच्छा और उतार चढ़ाव वाला वाकिंग ट्रैक होने के कारण ये जगह पैदल सैर करने वालों के लिए बहुत अच्छी है. सुबह और शाम को आसपास के लोगों की यहाँ आमद होती है लेकिन अभी भी ये स्थान चंडीगढ़ में लोकप्रिय नहीं है. केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के दक्षिण हिस्से मंा बने जापानी पार्क को बनाया तो नगर निगम ने है लेकिन इसमें काफी लागत खर्च केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने उठाया था. आसपास के लोग यहाँ आते हैं. गर्मियों के मौसम में सुबह और सर्दियों में दोपहर को यहाँ आना सबसे सही समय है. तकरीबन दर्जन भर से ज्यादा माली यहाँ के पेड़ पौधों की देखभाल करते है.

चंडीगढ का जापानी पार्क

संभवत: कोविड महामारी के प्रकोप के बीच या किसी अन्य कारणों से जापानी पार्क की सिविल मेंटेनेंस प्रभावित हुई है. यहाँ कई जगह पर कलाकृतियों को फिर से रंग करने या मरम्मत करने की ज़रुरत है. यहाँ कुछेक को छोड़कर ज़्यादातर कलाकृतियों और पेड़ पौधों की विशेषता का ब्यौरा देने के लिए शिलालेख या ऐसा कोई और तरीका नहीं अपनाया गया है जो उसके बारे में ज्ञान बढ़ाता हो. कई जगह पर रोशनी के लिए पॉइंट्स हैं लेकिन वहां से बल्ब गायब हैं. कुछेक जगह पर दीवारों को लोगों ने पत्थर, चाक, रंग या पेन आदि से लिखकर भद्दा कर रखा है. यहाँ के जलाशय में पानी भी हर समय नहीं रहता. इनमें पानी का रिसाव एक समस्या बना हुआ है. पर्यटन या सैर के इरादे से चंडीगढ़ में घूमने फिरने या ऐसे अन्य महत्वपूर्ण स्थलों के रख रखाव के मुकाबले जापानी पार्क पर प्रशासन की से कमी दिखाई देती है.