पायर ..! कश्मीर का एक साधारण सा गांव लेकिन इसे असाधारण बनाता है एक शिव मंदिर. तकरीबन 1100 साल पुराने इस छोटे से सुंदर शिव मंदिर का यहां होना इसलिए भी हैरानी पैदा करता है क्योंकि लगभग 300 परिवारों वाले पायर गांव में एक भी हिन्दू परिवार नहीं है. ये पहलू अपने आप में शोध का विषय हो सकता है लेकिन ये शिव मंदिर आस्था के साथ साथ कश्मीर में मध्यकालीन शिल्प और निर्माण कला की खूबसूरत मिसाल है.

कश्मीर के प्राचीन मन्दिरों में से ये शिव मन्दिर पुलवामा ज़िले में ज़िला मुख्यालय से तकरीबन पांच किलोमीटर के फासले पर है. पायर का ये शिव मंदिर एक संरक्षित इमारत भी है जिसे भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के अधिकार क्षेत्र में रखा गया है. इसी विभाग के कर्मचारी और पायर गांव के ही बाशिंदे हामिद अंसारी शिव मंदिर की देखभाल करते हैं. सुरक्षा के नज़रिये से आमतौर पर मंदिर के दरवाजे बंद ही रहते हैं क्योंकि किसी का यहां आना जाना नहीं होता. शोध या किसी ख़ास कारण से कोई इक्का दुक्का या भूला भटका ही शायद कोई आता है तब इसे खोला जाता है.

प्राचीन शिव मंदिर

प्राचीन शिव मंदिर

शिव के विभिन्न रूप :

पूर्व दिशा की तरफ मुख्य द्वार वाला तकरीबन 10 फीट लम्बा और इतने ही चौड़े चबूतरे पर ये एक कक्ष वाला मंदिर है जो गहरे सलेटी रंग के पत्थर से बना है. इस चौकोर मंदिर की अलग अलग दिशा वाली दीवार पर भगवान शिव के अलग अलग स्वरूप विद्यमान हैं. मुख्य द्वार आयताकार है जिस तक सीढ़ियाँ चढ़ कर जाया जा सकता है. इसके दरवाज़े पर बिलकुल सामने ही बड़े आकार का शिवलिंग है जो दूसरे रंग के पत्थर का है. बाकी तीनों दीवारों पर भी तकरीबन प्रवेश द्वार जितने बराबर के आकार की खिड़कीनुमा खाली जगह है. इसके ऊपर त्रिभुजाकार में खुदाई करके शिव के विभिन्न स्वरूप या भाव भंगिमा दिखाई देती हैं. एक में उनके 3 सिर हैं जिसमें वे गणों के साथ हैं तो एक में 6 भुजा वाले नटराज के रूप में नृत्य करते.

प्राचीन शिव मंदिर

प्राचीन शिव मंदिर

मंदिर की छत दो हिस्सों में बनी है जिस पर सजावट के लिए विभिन्न आकृतियां उकेरी गई है. छत को सजाने के लिए सबसे ऊपर पत्थर को तराश कर कमल का फूल बनाया गया हैं. समय पर देखभाल न होने या क्षति पहुंचाए जाने के कारण आकृतियां स्पष्ट नहीं हैं लेकिन गौर से देखने पर इन्हें समझा जा सकता है. किसी समय में शानदार रहा ये मंदिर वक्त के साथ साथ नज़रंदाज़ होता रहा. देखभाल की कमी के कारण और इसमें कुछ टूट फूट की वजह से इसने आकर्षण खो दिया था लेकिन 2017 में इसका जीर्णोद्धार किया गया. कुछ सीढ़ियां नई बनाई गई. कहीं कहीं से क्षतिग्रस्त या गायब हुए पत्थर के हिस्से पर नया पत्थर लगाया गया है. अब मंदिर के चारों तरफ से पक्की दीवार है जिस पर लोहे की जाली लगाई गई है. भीतर छोटा सा लॉन विकसित किया गया है.

10 पत्थरों से बना :

मंदिर की बनावट को लेकर इसी गांव के बाशिंदे मोहम्मद मकबूल ने दिलचस्प जानकारी दी. श्री मकबूल 37 साल पुरातत्व विभाग में सेवा देने के बाद गांव में रिटायर्ड जीवन बिता रहे हैं. उनके पूर्वज भी इसी गांव में पैदा हुए. उन्होंने बताया कि पायर का शिव मंदिर बड़े आकार के कुल 10 पत्थरों से निर्मित किया गया है. ये उसी शैली का मंदिर है जैसा कि पास के अवंतिपुर के मंदिर हैं. मोहम्मद मकबूल ने बताया कि इस तरह के निर्माण के दौरान छत के लिए या ऊंचाई पर लगाने के लिए भारी भारी बड़े आकार के पत्थर मिट्टी के ऊंचे ऊंचे रैम्प बनाकर उन पर सरकाकर उचित स्थान पर अवस्थित किये जाते थे. सम्भवतः इस मंदिर के निर्माण में भी यही तकनीक अपनाई गई होगी.

प्राचीन शिव मंदिर

प्राचीन शिव मंदिर

गौर से देखने पर पता चलता है कि पायर के शिव मंदिर की कुछेक जगह पर पत्थर के रंग में फर्क है. इस बारे में मोहम्मद मकबूल ने बताया कि दरअसल ये वो जगह है जहां जहां मरम्मत की गई है या नया पत्थर लगाया गया है जिसका रंग मूल पत्थर से भिन्न है.

असल में पहले ये जगह खाली पड़ी थी. मंदिर में न कोई पूजा करने आता था और न ही किसी ने इसकी अहमियत समझी. यहां बच्चे खेलते रहते थे. किसी को कोई ज़्यादा रोकटोक भी नहीं थी शायद यही वजह थी कि इसकी अनदेखी होती रही. इसी अज्ञानता वश किसी ने शिवलिंग पर निशान भी लगा दिया जिससे शिवलिंग कुछ विकृत भी लगता है. पायर में बने कश्मीर के प्राचीन मंदिर को लोग पांडवों के मंदिरों में से एक कहकर भी प्रचारित करते हैं. नौंवी सदी के इस शिव मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.

प्राचीन शिव मंदिर

संरक्षित है यह प्राचीन शिव मंदिर

राजधानी श्रीनगर से पायर के शिव मंदिर तक सड़क मार्ग का फ़ासला तकरीबन 35 किलोमीटर है जिसे लगभग एक से सवा घंटे में पूरा किया जा सकता है. पायर का शिव मन्दिर यहां की जामा मस्जिद के पास है और यहां तक पक्की सड़क बनी हुई है. कार या ऐसे किसी भी वाहन से यहां तक आसानी से आप पहुंच सकते हैं. अगर पूजा करते हैं तो इसके लिए सामग्री साथ ले जानी होगी. वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यदि निजी वाहन नहीं है तो पुलवामा मेन बाज़ार के पास (बस अड्डे के करीब) शहीदी पार्क के सामने से ऑटो टैक्सी से भी जाया जा सकता है जो पायर तक जाते है और 15 रूपये सवारी किराया लेते हैं.

प्राचीन शिव मंदिर

प्राचीन शिव मंदिर

पायर की खासियत और खूबसूरती :

मंदिर ही नहीं पायर में एक प्राचीन ज़ियारत भी है. स्थानीय लोग बताते हैं कि आसपास ही नहीं कभी कभी दूर के गांव से भी लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं. वह यहां पर धागा या कपड़ा बांधकर जाते हैं और मन्नत पूरी होने पर उसे खोलने के लिए आते हैं. ये ज़ियारत मिट्टी के उन पहाड़ों की तलहटी पर बनी है जिन पहाड़ों पर दूर से ही सेब के पेड़ दिखाई देते हैं. जब सेब का सीज़न खत्म होता है तो दिसंबर – जनवरी की बर्फ इन्हें अपने आगोश में लेकर एक अलग खूबसूरती देती है. बर्फबारी के मौसम में इस मंदिर का ही नहीं पूरे गांव का सौन्दर्य बढ़ जाता है. मिट्टी को मुलायम बर्फ की सफेद चादर ढांप लेती है तो आसमान ज़रा सा बादल छंटने पर अलग ही नज़ारा पेश करता है.

प्राचीन शिव मंदिर

बर्फबारी के दौरान का नजारा

सेब का अलावा पायर के पहाड़ के ऊपर बाग़ में अखरोट और बादाम के भी पेड़ हैं जो स्थानीय निवासियों के लिए जीवन यापन का स्रोत भी हैं और कारोबार भी है. पायर के लोग पढ़े लिखे लेकिन खाना पीना बेहद साधारण है. ज़्यादातर मांसाहारी हैं. यहां भैंस नहीं पाली जाती. लोग गाय पालते हैं, उसी का दूध पीते-बेचते है. ज़रूरत के सामान की छोटी मोटी दुकाने हैं.