भारत के पंजाब राज्य में पर्यटन के साथ ही इतिहास और आस्था के नज़रिए से ऐसी गुफाओं वाले मन्दिर हैं जिनको महाभारत काल से जोड़ा जाता है. विशाल पहाड़ों के बीच बनी इन छोटी छोटी गुफाओं में पांडव भाई उपासना करते थे और ध्यान लगाया करते थे. रावी नदी के किनारे गुफाओं वाले मंदिरों के इस स्थान को मुक्तेश्वर धाम महादेव कहा जाता है. पंजाब के पठानकोट ज़िले के पहाड़ी क्षेत्र में मनोरम दृश्य वाला मुक्तेश्वर धाम आस्था के साथ साथ रोमांच अनुभव करने का भी एक केंद्र है. माना जाता है कि ये 5500 साल पुरानी गुफाएं हैं. ये भारत के महत्वपूर्ण शिव मन्दिरों में से एक है लेकिन ज़्यादा लोगों की इसकी जानकारी नहीं है .

Mukteshwar Mahadev Temple

इस गुफा में धूनी लगातार जलती है.

पठानकोट में शाहपुर कंडी बांध मार्ग पर डूंघ गांव स्थित मुक्तेश्वर धाम महादेव की कहानी द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास से जोड़ कर बताई जाती है. मुक्तेश्वर धाम के महात्म्य के बारे में बताता यहां एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें दिए गये विवरण के मुताबिक़ अपने वनवास के 12 वें वर्ष में पांडवों ने मुख्तेश्वर महादेव धाम की स्थापना की थी. पांडव भाई प्रवास के क्रम में दसुआ ( ज़िला होशियारपुर ) से होते हुए माता चिंतपूर्णी के दर्शन करते हुए आये थे और इस वीरान जगह को रहने के लिए चुना. माना जाता है कि पांडव मुक्तेश्वर धाम में तकरीबन 6 महीने रहे थे. इस दौरान उन्होंने पांच गुफाओं का निर्माण किया. पांडवों ने यहां शिवलिंग स्थापित करते हुए भगवान् शिव को जागृत करते हुए कौरवों से होने वाले युद्ध में जीत का वरदान हासिल किया.

Mukteshwar Mahadev Temple

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की गुफा.

मुक्तेश्वर धाम का इतिहास बताने वाले इस बोर्ड पर अंकित है कि यहां पर एक अखंड धूना और रसोई घर भी बनाया गया जिसे आज द्रौपदी की रसोई के नाम से भी जाना जाता है.समय बीतने के साथ वो गुफा बन्द हो गई. वहीं पांडव अज्ञातवास का क्रम शुरू होने से पहले ही रावी नदी को पार करके विराट राज्य की सीमा में चले गये जिसे आजकल जम्मू कश्मीर कहा जाता है. मुक्तेश्वर महादेव के महात्म्य का वर्णन स्कंद पुराण के कुमारखंड में मिलता है. मुक्तेश्वर धाम महादेव का शिवलिंग अद्भुत सा लगत्ता है क्योंकि इसमें खड़ी और सीधी रेखाएं दिखाई देती हैं जो रक्त शिराओं सी प्रतिबिंबित होती हैं जो ओज या ऊर्जा का प्रतीक है. यहां तीन नंबर वाली गुफा में ऊपरी हिस्से में एक चक्र है. मान्यता है कि यहां बैठ कर पांडव ध्यान योग और क्रिया साधना किया करते थे.

Mukteshwar Mahadev Temple

गुफा मंदिर में जाने का रास्ता

इसमें लिखा है कि मुक्तेश्वर महादेव के महात्म्य स्थानीय लोग बताते हैं कि आर्थिक रूप से कम सक्षम होने या किसी और कारण से इस इलाके के जो लोग अपने दिवंगत परिजनों की अस्थियां विसर्जन या उस क्रम के पूजा विधान आदि के लिए हरिद्वार नहीं जा पाते वे लोग ऐसा मुक्तेश्वर धाम महादेव में ही कर लेते हैं. इस वजह से पठानकोट के मुक्तेश्वर धाम महादेव को छोटा हरिद्वार भी कहा जाता है. हरेक साल महाशिवरात्रि , चैत्र चतुर्दशी , बैशाखी और सोमवती अमावस्या को यहां मेला लगता है . इस अवसरों पर यहां स्नान और दर्शन करना महत्वपूर्ण माना जाता है.

Mukteshwar Mahadev Temple

मुक्तेश्वर महादेव तक पहुंचने की सीढियां

वैसे तो यहां साल भर में कभी भी आया जा सकता है लेकिन सर्दियों में थोड़ा ठंडक ज्यादा होती है. नदी का किनारा और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हवा भी तेज़ होती है और उसमें ठंडक भी होती है . यहां ठहरने का कोई पुख्ता बंदोबस्त नहीं है. एक बड़ा सा बरामदा ज़रूर है जहां बिस्तर बिछाकर आराम किया जा सकता है . वैसे यहां दो तीन घंटे आराम से रुका जा सकता है. महिलाओं के लिए रावी के पानी में स्नान के की व्यवस्था अलग से है . इसके अलावा सुबह से शाम तक लंगर चलता है. इसमें सामान्य खाना तो परोसा जाता है चाय भी उपलब्ध कराई जाती है. यहां जो भी दान देंगे उसकी कंप्यूटराइज्ड रसीद मिलेगी. सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर निगरानी के लिए सीसीटीवी भी कैमरे लगाये गये है.

Mukteshwar Mahadev Temple

मुक्तेश्वर महादेव तक पहुंचने की सीढियां

पठानकोट में शाहपुर कंडी बांध के पास स्थित मुक्तेश्वर महादेव मन्दिर तक स्थानीय बस सेवा से या अपने वाहन से पहुंचा जा सकता है. लेकिन इस बात का ख्याल रखना होगा कि मन्दिर दर्शन के लिए सड़क से पहले प्रांगण तक पहुँचने के लिए 250 सीढ़ियां उतरनी होंगी और वापसी में वही चढ़नी भी होंगी. यही नहीं नीचे उतरने के बाद पहाड़ के बीच में बनी गुफाओं तक पहुँचने के लिए भी हरेक मन्दिर के बाहर 15 -20 सीढ़ियाँ चढ़नी होगी. जो लोग लगातार सीढ़ियां चढ़ने – उतरने में सक्षम नहीं हैं या वृद्ध हैं उनके लिए यहां कोई वैकल्पिक बंदोबस्त नहीं है. हां एकाध स्थान पर बीच में सुस्ताने की जगह ज़रूर है. शौचालय आदि की व्यवस्था भी ठीक है.

Mukteshwar Mahadev Temple

रावी नदी का किनारा जहाँ अस्थि विसर्जन भी होता है.

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इंतजाम ‘ जय बाबा मुक्तेश्वर महादेव प्रबन्धक समिति ‘ देखती है. ज्यादा विवरण के लिए मन्दिर की वेबसाइट kteshwarmahadev.com देखी जा सकती है या फोन नंबर 9417324685 पर संपर्क किया जा सकता है.